भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लोहे का घर: पांच / शरद कोकास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शरद कोकास |संग्रह=गुनगुनी धूप में...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:51, 1 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

 
जब वह काले कोट वाला
कैफ़ियत मांगेगा तुमसे
बग़ैर टिकट यात्रा की
तुम चुपचाप
हवाले कर दोगे उसके
जेब में पड़ी
बची हुई बोतल
तुम पर तो वैसे ही
थकान हावी है।