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लोक-सभा के छै चुनाव; कतेॅ नेता उपलैलोॅ छै।
सब पाटी के सब नेता-जेना दूधोॅ के धोलोॅ छै॥
देस-भक्त, जनता के सेवक, स्वर्ग-लोक सें ऐलोॅ छै।
गंगाजी के निर्मल धारोॅ में सब खूब नहैलोॅ छै॥
हम्में सब केॅ जानै छियै, के केहनोॅ मनियारोॅ छै।
सब कपटी छै, सब ढोंगी छै सब पक्का बुधियारोॅ छै॥
जनता केॅ फुसलाबै छै, रंगीन बहार देखाबै छै।
अथवा मारी पीटी केॅ ओकरा पूरा धमकाबै छै॥
पैसा खर्च करीकॅे आफीसर केॅ खूब खिलाबै छै।
लुक्कड़ सब पकड़ो लानै छै, बोगस वोट दिलाबै छै॥
दूध पपीता के रगड़ी, हाथोॅ के चेन्हों मेटै छै।
एक्कै छौड़ां सात-सात वोटर के वोट समेटै छै॥
कत्ते छौड़ा साड़ी-अँगिया पीन्ही-पीन्ही आबै छै।
मौंगी बनी-बनी केॅ वें मनमाना मुहर लगाबै छै॥
सेकी एक्के बेर? अरे!् बदलै छै साड़ी सौ बेर।
हम्में ठाढ़ोॅ छी चुपचाप मगर देखै छी सब अन्धेर॥
जे छै पूरा चालू, ओकरे जीतोॅ के वजै छै ढोल।
सीधा या सच्चा नेता के, होय छै हाय? जमानत गोल॥
जीती केॅ वें घोॅर भरै छै पक्का-महल उठाबै छै।
जै गामोॅ सें जीतै छै उन्नेॅ कहियो नै आबै छेॅ॥
जनता केॅ वें मना करै छेॅ, आपनें दारु पीय छेॅ।
मौज उड़ावै छै दिल्ली में, खूब जिन्दगी जीयै छेॅ॥