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तेकरा पर सँकराती लेॅ, देखोॅ दूधोॅ के घर-घर खोज।
लागै छै चूड़ा-दहियोॅ के होतै जेना घर-घर भोज॥
चूड़ा- दही-मुरै मुहीं-बैंगन भरता के भोजन छै।
‘तिलें-तिलें बोॅ“ कही-कही तिलकतरी के आयोजन छै॥
राती घी-खिचड़ी पापड़ के सब केॅ लगतै बढ़ियाँ भोग।
बौंसी में मधुसूदन के दरसन क छै सुन्दर संजोग॥