भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ग़ज़ल की सुरंगें / कांतिमोहन 'सोज़'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 89: पंक्ति 89:
 
* [[मिल गए थे बालो-पर कुछ न कुछ तो होना था / कांतिमोहन 'सोज़']]
 
* [[मिल गए थे बालो-पर कुछ न कुछ तो होना था / कांतिमोहन 'सोज़']]
 
* [[अभी फ़र्दे-गुनह में सिर्फ़ अपना नाम ही तो है / कांतिमोहन 'सोज़']]
 
* [[अभी फ़र्दे-गुनह में सिर्फ़ अपना नाम ही तो है / कांतिमोहन 'सोज़']]
* [[तीर की नोक कभी ज़ख़्मे-जिगर देखेंगे / कांतिमोहन 'सोज़']]
+
* तीर की नोक कभी ज़ख़्मे-जिगर देखेंगे / कांतिमोहन 'सोज़'
* [[अब ख़ता होगी न कोई न शरारत होगी / कांतिमोहन 'सोज़']]
+
* अब ख़ता होगी न कोई न शरारत होगी / कांतिमोहन 'सोज़'
* [[क्या उसे इतना भा गया हूं मैं / कांतिमोहन 'सोज़']]
+
* क्या उसे इतना भा गया हूं मैं / कांतिमोहन 'सोज़'
* [[ / कांतिमोहन 'सोज़']]
+
* [[ / कांतिमोहन 'सोज़']]
+
* [[ / कांतिमोहन 'सोज़']]
+
* [[ / कांतिमोहन 'सोज़']]
+
* [[ / कांतिमोहन 'सोज़']]
+
* [[ / कांतिमोहन 'सोज़']]
+

07:09, 20 जुलाई 2016 का अवतरण


ग़ज़ल की सुरंगें
रचनाकार कांतिमोहन 'सोज़'
प्रकाशक
वर्ष 1988
भाषा हिन्दी
विषय हास्य-व्यंग्य की ग़ज़लें
विधा
पृष्ठ 80
ISBN
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।