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माँगत तुलसिदास कर जोरे. बसहिं रामसिय मानस मोरे..४.. | माँगत तुलसिदास कर जोरे. बसहिं रामसिय मानस मोरे..४.. | ||
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+ | दीन-दयालु दिवाकर देवा. कर मुनि, मनुज, सुरासुर-सेवा..१.. | ||
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+ | हिम-तम-करि-केहरि करमाली. दहन-दोष-दुख-दुरित-रुजाली..२.. | ||
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+ | कोक-कोकनद-लोक-प्रकाशी. तेज-प्रताप-रूप-रस-रासी..३.. | ||
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+ | बेद-पुरान प्रगट जस जागै. तुलसी राम -भगती बर माँगै..४.. |
21:02, 2 अप्रैल 2008 का अवतरण
राग बिलावल
श्री गणेश-स्तुति
१
गाइये गनपति जगबन्दन. सन्कर-सुवन भवानी-नंदन..१..
सिद्धि-सदन, गज बदन, बिनायक. क्रिपा-सिंधु, सुंदर, सब-लायक..२..
मोदक-प्रिय, मुद-मंगल-दाता. बिद्या-बारिधि, बुद्धि-बिधाता..३..
माँगत तुलसिदास कर जोरे. बसहिं रामसिय मानस मोरे..४..
सूर्य स्तुति
२
दीन-दयालु दिवाकर देवा. कर मुनि, मनुज, सुरासुर-सेवा..१..
हिम-तम-करि-केहरि करमाली. दहन-दोष-दुख-दुरित-रुजाली..२..
कोक-कोकनद-लोक-प्रकाशी. तेज-प्रताप-रूप-रस-रासी..३..
बेद-पुरान प्रगट जस जागै. तुलसी राम -भगती बर माँगै..४..