भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रेमक बसात / नीतीश कर्ण" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीतीश कर्ण |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

07:50, 6 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण

प्रेमक बुन्नी उमरि- उमरि, आई हमरा पर बरसल
हमर करेज के परती बारी में, प्रेमक गाछ आई उपजल
की जाने औ कौन मौसम छल, की जाने औ कौन नक्षत्र
हमर मनक अन्हार कोठरी में, भेल कोना इज़ोर सर्वत्र
आई धरि नई सोचलउं सपनों में, हमरो पर ई बरखा बरखत
मिलते देरी नैन नैन स’, हमरो पर ई बिजुरि करकत
नैन झुकेने ओ बैसल छल, मिलते नैन की जादू केलक
किछु कहितहुं किछु बाजि नई सकलहुं, की जाने कोन मन्त्र ओ पढ़लक
जानि प्रेमक मौसम छल ओ, किछु हमहुं अंदाज लगेलउं
कोना भिजलउं से बुझि नई सकलउं, तै बरसातक लाथ लगेलउं