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"सूती थी रंग महल में / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर
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('सूती थी रंग महल में, सूती ने आयो रे जन जाणु, सुपना रे ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
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सूती थी रंग महल में, | सूती थी रंग महल में, | ||
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सूती ने आयो रे जन जाणु, | सूती ने आयो रे जन जाणु, | ||
+ | सुपना रे बैरी नींद गवाईं रे | ||
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सूती है सुख नींदा में म्हाने तरसाग्या जी | सूती है सुख नींदा में म्हाने तरसाग्या जी | ||
− | + | सुपना रे बैरी नींद गवाईं रे | |
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तब तब महेला ऊतरी, | तब तब महेला ऊतरी, | ||
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गई गई नन्दल रे पास, | गई गई नन्दल रे पास, | ||
− | + | बाईसा थारो बिरो चीत आयो जी | |
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पूछे भाभी गेली बावली, बीरोजी गया है परदेस, | पूछे भाभी गेली बावली, बीरोजी गया है परदेस, | ||
− | + | सुपने तो तने झुटो ही आयो रे | |
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देखो ननद थारी भाईजी की बातां, | देखो ननद थारी भाईजी की बातां, | ||
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लाज शरम नहीं आवे, | लाज शरम नहीं आवे, | ||
− | + | सुपने के बाहने नैणां से नैण मिलाग्या जी | |
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सुपने में आग्या जी, म्हारी नींद गवाग्या जी, | सुपने में आग्या जी, म्हारी नींद गवाग्या जी, | ||
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सूती है सुख नींदा में म्हाने तरसया गया जी, | सूती है सुख नींदा में म्हाने तरसया गया जी, | ||
− | + | सुपना रे बैरी नींद गवाईं रे | |
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07:24, 9 सितम्बर 2016 का अवतरण
अज्ञात लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सूती थी रंग महल में,
सूती ने आयो रे जन जाणु,
सुपना रे बैरी नींद गवाईं रे
सुपने में आग्या जी, म्हारी नींद गवाग्या जी
सूती है सुख नींदा में म्हाने तरसाग्या जी
सुपना रे बैरी नींद गवाईं रे
तब तब महेला ऊतरी,
गई गई नन्दल रे पास,
बाईसा थारो बिरो चीत आयो जी
पूछे भाभी गेली बावली, बीरोजी गया है परदेस,
सुपने तो तने झुटो ही आयो रे
देखो ननद थारी भाईजी की बातां,
लाज शरम नहीं आवे,
सुपने के बाहने नैणां से नैण मिलाग्या जी
सुपने में आग्या जी, म्हारी नींद गवाग्या जी,
सूती है सुख नींदा में म्हाने तरसया गया जी,
सुपना रे बैरी नींद गवाईं रे