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"दिन उग्यो कूकड़ी बोले रे / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर
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दिन उग्यो कूकड़ी बोले रे | दिन उग्यो कूकड़ी बोले रे |
07:41, 9 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
दिन उग्यो कूकड़ी बोले रे
आई नव प्रभात
गवाँराँ गीगां हंस ल्यो रे
गयी अंधारी रात
नवाँ नवाँ हो झाड़ हाथ ले
सोत्डला में चालो चालो
खेतडला में चालो
अब हिम्मत, अब हिम्मत, अब हिम्मत,
की है बात रे
आयो नव प्रभात
कान खोल के सुण लो जवानो
धरती सोणा निपजे रे,
मेहनत सूँ, मेहनत सूँ, मेहनत सूँ
निपजे रे
गयी अंधारी रात
दिन उग्यो कूकड़ी बोले रे
आयो नव प्रभात