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"माँ / दिविक रमेश" के अवतरणों में अंतर
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जिसे मैंने कभी | जिसे मैंने कभी | ||
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सोते | सोते | ||
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नहीं देखा | नहीं देखा | ||
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आज | आज | ||
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एक प्रश्न घुमड़ आया है - | एक प्रश्न घुमड़ आया है - | ||
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पिसती | पिसती | ||
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चक्की थी | चक्की थी | ||
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या | या | ||
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माँ | माँ |
19:05, 27 अप्रैल 2008 का अवतरण
रोज़ सुबह, मुंह-अँधेरे
दूध बिलौने से पहले
माँ
चक्की पीसती,
और मैं
घूमेड़े में
आराम से
सोता
तारीफ़ों में बँधीं
माँ
जिसे मैंने कभी
सोते
नहीं देखा
आज
जवान होने पर
एक प्रश्न घुमड़ आया है -
पिसती
चक्की थी
या
माँ
माँ