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मूं खे न विसारी जा लिफ़ाफा / एम. कमल
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19:10, 5 अक्टूबर 2016
जीवति त चॿे उथी कणा सभु।
र्दनि
दर्दनि
जा मगर खुटा न दाणा॥
</poem>
Lalit Kumar
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