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"इस वृत्तांत में / मोहन राणा" के अवतरणों में अंतर
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गिर पड़ो अगर तुम | गिर पड़ो अगर तुम | ||
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उठाऊंगा और साफ भी करूंगा कीचड़ को, | उठाऊंगा और साफ भी करूंगा कीचड़ को, | ||
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रास्ता भूल जाओ तो | रास्ता भूल जाओ तो | ||
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बताऊंगा रास्ता और दूंगा पता भी | बताऊंगा रास्ता और दूंगा पता भी | ||
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अगर तुम्हें मेरी तलाश हो ! | अगर तुम्हें मेरी तलाश हो ! | ||
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इस जान-पहचान के बाद, | इस जान-पहचान के बाद, | ||
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नहीं छोड़ूंगा मैं तुम्हें अकेला | नहीं छोड़ूंगा मैं तुम्हें अकेला | ||
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बेचैनी के अंतराल में | बेचैनी के अंतराल में | ||
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और दूंगा एक खिड़की भी, | और दूंगा एक खिड़की भी, | ||
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एक साथ हम देखेंगे जंगल को वहाँ से | एक साथ हम देखेंगे जंगल को वहाँ से | ||
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कि आज आकाश तुम्हारे कमरे में | कि आज आकाश तुम्हारे कमरे में | ||
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उड़ आए एक चिड़िया | उड़ आए एक चिड़िया | ||
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वहाँ बादल को देख, | वहाँ बादल को देख, | ||
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पर यह पढ़ने का कोई मतलब नहीं | पर यह पढ़ने का कोई मतलब नहीं | ||
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अगर हम साथ-साथ न चले | अगर हम साथ-साथ न चले | ||
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कहीं दूर तक | कहीं दूर तक | ||
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इस वृत्तांत में | इस वृत्तांत में | ||
10:24, 28 अप्रैल 2008 का अवतरण
गिर पड़ो अगर तुम
उठाऊंगा और साफ भी करूंगा कीचड़ को,
रास्ता भूल जाओ तो
बताऊंगा रास्ता और दूंगा पता भी
अगर तुम्हें मेरी तलाश हो !
इस जान-पहचान के बाद,
नहीं छोड़ूंगा मैं तुम्हें अकेला
बेचैनी के अंतराल में
और दूंगा एक खिड़की भी,
एक साथ हम देखेंगे जंगल को वहाँ से
कि आज आकाश तुम्हारे कमरे में
उड़ आए एक चिड़िया
वहाँ बादल को देख,
पर यह पढ़ने का कोई मतलब नहीं
अगर हम साथ-साथ न चले
कहीं दूर तक
इस वृत्तांत में
27.5.2002