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"अब भी / शैलेन्द्र चौहान" के अवतरणों में अंतर

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बच्चे होते हैं प्रसन्न
 
बच्चे होते हैं प्रसन्न

18:51, 1 मई 2008 का अवतरण

सभी माएँ

होती हैं प्रसन्न

अपने बच्चों के प्रति प्रदर्शित

स्नेह से


बहुत अलग थी प्रतिक्रिया

उस बालक की माँ की

असहज हुई वह

संशय था, कुछ भय भी

आँखों में उसकी


देख अजनबी चेहरे

अक्सर तो नन्हे बालक

रोने-रोने को होते हैं


कभी-कभी जब

बच्चे होते हैं प्रसन्न

माएँ होने लगती हैं भयभीत

अजानी आशंकाओँ से

अपघट से


अब भी होता है

ऐसा क्यों?