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"पीड़ रो सुख / राजू सारसर ‘राज’" के अवतरणों में अंतर

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सुरगळै सुख री
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पच्छै रो सुख।
 
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03:10, 28 अक्टूबर 2016 का अवतरण

मुंडै छळकती ममता
हाँचल झबळकतौ हेत
आंख्यां रो उमाव
भरै साख,
सुरगळै सुख री
वै मूंधा खिण
अंवेरण नैं
पड़ जावै
जिनगाणीं कम
फगत अैक ‘ज
छणै ‘क रै
कालखण्ड ज्यूं।
जापायत री
जलम-पीड़
लख ‘र
मधरी-मधरी
मुळकती बांझड़
स्यात् नीं जाणै
जापै री पीड़ रै
पच्छै रो सुख।