गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अश्वत्थामाहरू / रमेश क्षितिज
No change in size
,
05:54, 22 नवम्बर 2016
स्तुप सामुन्ने,
कतै मन्दिरमा, कतै गुम्बामा
यत्रतत्र भीड छ
सधंै
सधै
अश्वत्थामाहरूको,
नफर्किने गरी खोसिएको छ बहुमूल्य मणि
Sirjanbindu
Mover, Reupload, Uploader
10,371
edits