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"कृत्रिमता / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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सच का विश्वास
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जहाँ क़ुदरत का हाथ
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नहीं पहुँच पाता
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वहाँ भी
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कोई हाथ होता है
 
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14:24, 1 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

कृत्रिमता की कोख से
नहरें निकलती हैं
नदियाँ नहीं
आविष्कार के मलवे
इकट्ठा होते हैं
खुशियाँ नहीं

जानवरों की दुनिया
हमसे अच्छी है
वह प्यार करते हैं
क़समें नहीं खाते
औलादें पैदा करके
उन्हें बड़ा करते हैं
उम्मीदें नहीं पालते

सच का विश्वास
अनन्त होता है
जहाँ क़ुदरत का हाथ
नहीं पहुँच पाता
वहाँ भी
कोई हाथ होता है