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सुन्ता के खेती / नूतन प्रसाद शर्मा
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09:45, 8 जनवरी 2017
उल्टा पुल्टा रेंगय मं सब काम बिगड़ जाथे ठउका
अलग -अलग पतवार
च ले
चले
मन धार बीच मं उलटथे नउकातुम ज्ञानी हो पर काबर बइठे हो चुप्पे
चाप ।
चाप।
</poem>
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