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"ॿहरूपी / मुकेश तिलोकाणी" के अवतरणों में अंतर

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सचु चवण लाइ
को बि त्यारु नाहे।
कूड़ जी
चौतरफ
हवा फहिलियल आहे।
नईं रमज़
ॿहरूपी चहिरे सां
वक़्त जी विथीअ खे
पूरो करण लाइ
हा.., जीऊ.., नमस्कार
हली रही आहे।
सच्चाई पेरनि में
लताड़जी रही आहे।
अल्लाह खुशि आहे
भुॻति चढ़े पई
पूॼा थिए पई।
पूॼारी खु़शि आहे
सेसा मिले पई
हयाती कटिजे पई।