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"चंदू के चश्मे से / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर

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11:17, 16 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

चंदू के चश्मे से
बड़े नजारे दिखते हैं।

एक दिन चढ़ा लिया आँखों पर
हमने उसका चश्मा,
आठ बरस के दीखे बापू,
चार बरस की अम्माँ,
बूढ़े-बड़े सभी छोटे-से,
प्यारे दिखते हैं।

उस चश्मे को पहना तो
ताऊजी गुस्सा भूले,
ठंडी आइसक्रीम बन गए
जो थे आग-बबूले,
अकडू-बकडू सब उसमें
बेचारे दिखते हैं।

पता नहीं किस जादूगर से
चंदू चश्मा लाया,
मनहूसों की सूरत बदली,
इतना रोह हँसाया।
धूप रात में दिखती,
दिन में तारे दिखते हैं।
चंदू के चश्मे से
बड़े नजारे दिखते हैं।