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"पतंग / प्रकाश मनु" के अवतरणों में अंतर

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15:40, 16 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

नीली, पीली
लाल पतंग,
करती खूब कमाल, पतंग!

उछल-उछलकर ऊपर जाती
आसमान में गोते खाती,
जादू के
करतब दिखलाती-
ले हिरना की चाल, पतंग!

इंद्रधनुष माथे पर टाँके
भरती है यह खूब कुलाँचें,
धरती से
अंबर तक छाया
सपनों का है जाल, पतंग।

वैसे तो एक पन्नी सस्ती
मामूली है इसकी हस्ती,
तेज हवा में
तन जाती पर
जैसे कोई ढाल, पतंग।

जब कोई दुश्मन आ जाए
आकर के इससे टकराए,
खूब पैंतरे
दिखलाती तब
बन जाती है काल, पतंग।