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"तटस्थता / ब्रजेश कृष्ण" के अवतरणों में अंतर

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10:53, 17 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

वे आये
और उतार कर ले गये
बग़ल में बैठे आदमी की कमीज़
मैं अपने जूतों के फीते कसता रहा
और हँसता रहा
एक महीन बेशर्म लम्बी तटस्थ हँसी

सवालों से आँख बचाकर
मैं खिसक तो आया नेपथ्य में
लेकिन खु़द से
सवाल करती हुई मेरी आँख
अब मुझे जीने नहीं देती।