भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हरा समुंदर / श्रीप्रसाद" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीप्रसाद |अनुवादक= |संग्रह=मेरी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:36, 20 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
हरा समुंदर गोपीचंदर
बोल मेरी मछली कितना पानी
गा-गा करके सुना रही हैं
सब बच्चों की बूढ़ी नानी
जब बादल आते हैं काले
बरसा होती है झर-झर-झर
तब नदियाँ भर-भर जाती हैं
पानी लहराता है तट पर
नदियाँ ले जातीं पानी को
सागर में शामिल हो जातीं
नानी कहती हैं, ये नदियाँ
सागर मं गहराई लातीं
हो जाता है हरा समुंदर
ऊँची लहरों वाला सुंदर
तब मछली डुबकी लेती है
खुश होकर पानी के अंदर
नानी कितना अच्छा गातीं
कितना अच्छा गीत सुनातीं
बादल बरसाते हैं पानी
बूँदें फूलों-सी खिल जातीं।