भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आ री कोयल / श्रीप्रसाद" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीप्रसाद |अनुवादक= |संग्रह=मेरी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:55, 20 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

आ री कोयल, गा री कोयल
मीठे गाने गा
मेरी इस नन्ही बगिया में
शाम-सुबह तू आ

पक्षी आते, शोर मचाते
बगिया भर जाती
सूरज मुसकाता पेड़ों पर
किरण-किरण आती

फूलों वाली, बड़ी निराली
बगिया है सुंदर
दिनभर हवा चला करती है
गम-गम, मधुर-मधुर

तू आएगी, तू गाएगी
सुन करके गाना
खिल-खिल-खिल हँस देगी बगिया
कोयल, तू आना।