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"गळगचिया (4) / कन्हैया लाल सेठिया" के अवतरणों में अंतर

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दूबड़ी पूछ्यो - झरणां, तूं चनेक ही सिंचल्यो कोनी रवै, तूं पून को जायोड़ो है के?
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झरणूं बोल्यो - भली पिछाण करी? मैं तो डूंगरां रै जायोड़ो हूं जका पसवाड़ो ही को फेरै नीं!
 
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15:11, 4 मार्च 2017 के समय का अवतरण

दूबड़ी पूछ्यो - झरणां, तूं चनेक ही सिंचल्यो कोनी रवै, तूं पून को जायोड़ो है के?
झरणूं बोल्यो - भली पिछाण करी? मैं तो डूंगरां रै जायोड़ो हूं जका पसवाड़ो ही को फेरै नीं!