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की करदा नी की करदा नी,
कोई पुच्छो खाँ दिलबर की करदा!
इकसे घर विच्च वस्सदिआँ रस्सदिआँ,
नहीं हुन्दा विच्च परदा।
कोई पुच्छो खाँ दिलबर की करदा!
विच्च मसीत नमाज़ गुज़ारे,
बुतखाने जा बड़दा।
कोई पुच्छो खाँ दिलबर की करदा!
आप इक्को कई लक्ख घराँ दे,
मालक सभ घर घर दा।
कोई पुच्छो खाँ दिलबर की करदा!
जित वल्ल वेखां उत वल्ल उहो,
हर दी संगत करदा।
कोई पुच्छो खाँ दिलबर की करदा!
मूसा ते फरऔन<ref>सुल्तान का नाम</ref> बणा के,
दे हो के क्यों लड़दा।
कोई पुच्छो खाँ दिलबर की करदा!
हाज़र नाजर ओहो हर थाँ,
चूचक किस नूँ खड़दा।
कोई पुच्छो खाँ दिलबर की करदा!
ऐसी नाजुक बात क्यों कहिन्दा,
ना कैह सकदा ना जरदा।
कोई पुच्छो खाँ दिलबर की करदा!
बुल्ला सहु दा इशक बघेला<ref>बाघ</ref>,
रत्त<ref>रक्त</ref> पीन्दा गोश्त चरदा।
कोई पुच्छो खाँ दिलबर की करदा!