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"प्रेम / विनोद शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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स्वीकृति के मायालोक
और अस्वीकृति के तिमिरलोक के बीच
किसी रोशन बिन्दु पर
प्रेम से साक्षात्कार की संभावना
एक रहस्यलोक है
जिसमें अन्तर्निहित है:

अनेक लोक-लोकान्तर
असंख्य आकाशगंगाओं में
झिलमिलाते असंख्य सितारे

-असंख्य दर्पणों में
झिलमिलाते
प्रेम के प्रतिबिम्ब।