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मैं पुरुष हूं
सृष्टि की बांसुरी का स्वर
मगर नश्वर
तुम स्त्री हो
नश्वर तुम भी हो
मगर पुरुष के प्यार को
स्वीकार कर
उसे अमर करने में समर्थ हो
‘प्रकृति’
ईश्वर के मुख से निकला
पहला और अंतिम शब्द है
तुम उसका गूढ़ अर्थ हो।