भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पियानोवादन / विनोद शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनोद शर्मा |अनुवादक= |संग्रह=शब्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:01, 15 मार्च 2017 के समय का अवतरण

जाग उठा पियानो
वादक कीउंगलियों के स्पर्श से
और संगीतमय हो उठा वातावरण
यहां तक कि मौन भी।

हम मौन थे संगीत में लीन
अवाक
सिर्फ सांस ले रहे थे
सहसा रिल्के(विश्वविख्यात जर्मन कवि रायनर मारिया रिल्के) कानों में फुसफुसाया-
संगीत:- मूर्तियों का सांस लेना(संदर्भ: रिल्के की कविता ‘टु म्यूजिक)
शायद तस्वीरों की निश्चलता(संदर्भ: रिल्के की कविता ‘टु म्यूजिक)

क्या बज रहा था?
पियानो या प्रेक्षागृह या परिवेश
जड़ सवाक था स्पन्दित
और चेतन निस्पंद और अवाक

रिल्के पूछ रहा था:
अनुभूतियां किसके लिए?
अनुभूतियों का रूपांतरण किसमें?(संदर्भ: रिल्के की कविता ‘टु म्यूजिक)
श्रव्य परिदृश्य में! (संदर्भ: रिल्के की कविता ‘टु म्यूजिक)

हम सुन रहे थे या सुनाई दे रहे थे
परिदृश्य को, पता नहीं।

कब समाप्त हुई एक रचना और कब शुरू हुई दूरी
बाख की थी या बीथोविन की
यह सब बेमानी था।

एक नैरंतर्य था एक के बाद एक
छेड़ी जाने वाली धुनों में
क्या अंतराल क्या मध्यांतर
कुछ भी तो नहीं था अव्यक्त
अनुगूंजे थीं वहां
हम तुम्हारे मनोहर अनुग्रह में बने रहेंगे।
ओ वादक!