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"क्षितिज / रमेश क्षितिज" के अवतरणों में अंतर
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08:26, 16 मार्च 2017 के समय का अवतरण
जति भाग्न खोज टाढा
क्षितिजबाट,
घेरेर तिम्रो सम्पूर्ण उपस्थिति र चेतनालाई
ऊ तिम्रो नजिक हुन्छ
जत्ति नजिक भएर
छुन खोज क्षितिज
ऊ तिमीबाट टाढा धेरै टाढा हुन्छ,
दृश्यमा – जोडिएका
पर्वतहरू
हिउँचुलीहरू
शृंखलाहरू
र अग्ला–अग्ला वृक्षहरू
ती सबै त भ्रम हुन् !
त्यहाँ पुगेर हेर त्यो अझ पर सर्दै जान्छ
क्षितिज – त्यो निर्मोही
सपना र जिन्दगीजस्तै हुन्छ !