भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आख्यान / विष्णुचन्द्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विष्णुचन्द्र शर्मा |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:01, 17 मार्च 2017 के समय का अवतरण
सूखी नदी ने
न अपना दिल खोला
न उदासी का बताया आख्यान
बस पत्थरों से, बोलती रही
बस अपना हाड़मांस देखती रही!
मैंने कहा, ‘नदी! मेरा दुःख तुमसे छोटा है।’