भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"17 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:20, 29 मार्च 2017 के समय का अवतरण
तुसां छतरे मरद बना दिते सप रसियां दे करो डारीयो नी
राजे भोज दे मुख लगाम दे के चढ़ दौड़ियां हो टूनेहारीयो नी
कैरों पाडवां दी सभ गाल सुटी ज़रा गल दे नाल बुरियारीयो नी
रावण लंका लुटायके गरक होया कारन तुसां दे ही हैंसियारीयो नी
शब्दार्थ
<references/>