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"57 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

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जवानी कमली ते राज चूचके दा ओथे किसे दी की परवाह मैंनूं
मैं तां धरूह के पलंघ तों चा सुटां आया किधरों एह बादशाह मैनूं
नाढू शाह दा पुत कि शेर हाथी पास ढुकयां लयेगा ढाह मैंनूं
नाहीं पलंघ ते एस नूं टिकन देना ला रहेगा लख जे वाह मैंनूं
एह बोलदा पीर बगदार गुगा मेले आन बैठा वारस शाह मैंनूं

शब्दार्थ
<references/>