भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"57 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:46, 29 मार्च 2017 के समय का अवतरण
जवानी कमली ते राज चूचके दा ओथे किसे दी की परवाह मैंनूं
मैं तां धरूह के पलंघ तों चा सुटां आया किधरों एह बादशाह मैनूं
नाढू शाह दा पुत कि शेर हाथी पास ढुकयां लयेगा ढाह मैंनूं
नाहीं पलंघ ते एस नूं टिकन देना ला रहेगा लख जे वाह मैंनूं
एह बोलदा पीर बगदार गुगा मेले आन बैठा वारस शाह मैंनूं
शब्दार्थ
<references/>