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"जनरल डायर / कर्मानंद आर्य" के अवतरणों में अंतर

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09:39, 30 मार्च 2017 के समय का अवतरण

इस देश में रहकर
तुम्हारी बहुत याद आती है
जनरल डायर

किसी किसी दिन तो हद से अधिक
सच कहूँ
तुम्हारा स्मरण देशद्रोही बनाता हो
ऐसा कभी नहीं सोचता मैं
राजसत्ता के बहाने
दमन के रास्ते याद आता है तुम्हारा तेजवान चेहरा
सुशासन, सुराज्य, सुदिन
तुम्हारी भी प्राथमिकता थी
और भी कई थीं तुम्हारी प्राथमिकतायें
होती हैं जब अनगिनत हत्यायें सुशासन के लिए
सुराज्य की आकांक्षा से
तुम्हारे बहाने सत्तावाले, सुशासनवाले, सुराज्यवाले
बहुत याद आते हैं
इस देश में रहकर
तुम्हारी प्रासंगिकता बनी रहती है जनरल
तुम्हारी वर्दी
किसी पुलिसवाले की वर्दी देखकर याद आती है
यह खाकी रंग
कितना जानदार हथियार है

तुम्हारा सीना तो नहीं नापा मैंने
लेकिन प्रधानमंत्री के सीने से बिल्कुल कम नहीं होगा
तुम्हारे सीने का आयतन
तुम्हारी आँखों में झांककर तो नहीं देखा मैंने
पर डेविड कैमरून से क्या कम नीली रही होंगी तुम्हारी आँखें
वो जादूगर
तुम्हारी आँखों के जादूगर आज भी हैं देश में
हत्या और सुदिन का सपना एक साथ दिखाने वाले
तुम्हारी याद ताजी कर जाती है
सायरन बजाती हुई गाड़ियाँ
एक साथ एक दो तीन चार पांच
अस्सी नब्बे गाड़ियों में लदे तुम्हारे घोड़ेवान सिपाही
सोचता हूँ तुम्हारा होना कितना प्रासंगिक है आज भी
जब देश के सत्तरप्रतिशत नागरिक
आजादी का हठ किये बैठे हों
वे अपनी भाषा सभ्यता संस्कृति की तलाश में मर रहे हो रोज
वे चाहते हों उनका जंगल जमीन बचा रहे
उस समय भी तुम जब अपनी पुलिस को आदेश दे रहे हो
फायर...
ओ जनरल डायर