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"बोलना / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

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21:59, 27 मई 2008 का अवतरण

जो आदमी दुख में है

वह बहुत बोलता है
बिना बात के बोलता है

वह कभी चुप्प और स्थिर बैठ नहीं सकता

ज़रा-सी हवा लगते फेंकता लपट

बकता है लगातार
ईंट के भट्ठे-सा धधकता


जो सुखी-सम्पन्न है

सन्तुष्ट है

वह कम बोलता है

काम की बात बोलता है

जो जितना सुखी है उतना ही कम बोलता है

जो जितना ताकतवर है उतना ही कम

वह लगभग नहीं बोलता है
हाथ से इशारा करता है
ताकता है
और चुप्प रहता है


जिसके चलते चल रहा है युद्ध कट रहे हैं लोग

उसने कभी किसी बन्दूक की घोड़ी नहीं दाबी