भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"263 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:30, 3 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

देवां सिखिया<ref>दीक्षा</ref> रब्ब दी याद दसी गुरु जोग दे भेत नूं पाईए जी
नहा धो के चा भबूत मलीए अते किस वत अंग वटाईए जी
सिंगी फौड़ही खपरी हथ लै के पहले रब्ब दा नाम धयाईए जी
नगर अलख वजाइके जा वड़ीए पाप जान जे नाद बजाईए जी
सुखी दवार वसे जोगी भीख मांगे देई दुआ असीस सुनाईए जी
इस भांत दे नगर दी भीख लै के मसत लटकदे दुआर को आईए जी
वडी माउं ही जान के करो निसख छोटी भैन मिसाल बनाईए जी
वारस शाह यकीन दी गल चगी सभो हक दी हक ठहराईए जी

शब्दार्थ
<references/>