भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"374 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:42, 5 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

हीर उठ बैठी पते ठीक लगे अते ठीक नशानियां सारियां ने
एह तां जोतशी पंडत आन मिलया बातां आखदा खूब करारियां ने
पते वंझली दे एस ठीक दिते ओस मझी भी साडियां चारियां ने
वारस शाह एह इलम दा धनी डाढा खोल कहे निशानियां सारियां ने

शब्दार्थ
<references/>