भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"496 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:00, 5 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण
साह काला ते होठां ते लहू लगा किसे नीली नूं ठोकरां लाइयां नी
किसे हो वेदरद लगाम दिती अडियां वखियां विच चुभोइयां नी
ढिला होए के किसे मैदान दिता, लाइयां किसे महबूब सफाइया नी
वारस शाह मियां होनी हो रही हुन केहियां रिंकतां<ref>झगड़ा</ref> चाइयां नी
शब्दार्थ
<references/>