भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नया साल-1 / राजकुमार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजकुमार |अनुवादक= |संग्रह=टेसू क...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:55, 5 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

कटतें-मरतें साल गुजरलै, अइलोॅ फेरु साल नया
हौ सालोॅ सें हय सालोॅ रोॅ, लागै छै कुछ चाल नया

अम्बर सें सौगात दिसम्बर रोॅ, धरती सें अम्बर तक
छिकै वहेॅ छै मतर ओढ़नें, अबकी फेरु खाल नया

चेथरी-चेथरी भेलोॅ जिनगी केॅ, जोड़ी ओढ़ी ऐलाँ
शितलहरी छै हमरा लेली, हुनका लेली ढाल नया

सजलोॅ छै टेबुल पर कुरसी, कुरसी पर काँटा-चम्मच
काँटा-चम्मच छूरा-छूरी के लेली पंडाल नया

मुरगा-मुरगी खस्सी-पठरु रं, जिनगी मेहमानों ली
संग विदेशी बोतल नाचै, बरगद पर कंडाल नया

नद्दी-पोखर ताल-तलैया, अहरा-पैनी आठो याम
काबिज हुनके हाथ समुन्दर, मछुआरा के जाल नया

विक्रम रोॅ बैशाखी बादुर, यहाँ-वहाँ छै बादुर ‘राज’
उल्लू त उल्लू छै, सगरे विक्रम रोॅ बैताल नया