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कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति
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15:45, 1 जून 2008
'''शांति पाठ'''<br>
<span class="upnishad_mantra">
ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै ।<br>
तेजस्वि नावधीतमस्तु । मा विद्विषावहै ।<br><br>
</span>
Lalit Kumar
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