"बसंत / सपना मांगलिक" के अवतरणों में अंतर
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सपना मांगलिक |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:20, 3 मई 2017 के समय का अवतरण
1
मिलन आस
ले आया मधुमास
भोंरे चहके।
2
तितली भोली
कहे आ रे बसंत
भर दे झोली।
3
ऋतु है भली
अलि निहारे कलि
प्रेम चक्षु से।
4
पीत वसन
पहने गुलशन
सरसों जड़े।
5
खुमारी छाई
ले पुष्प अँगडाई
कली शर्माई।
6
हरी सौगात
झरे पीले से पात
दानी बसंत।
7
पीत वसन
ऋतुराज बसंत
आया पहन
8
सुध बिसरी
महका तन मन
प्रिय बसंत
9
पिया बसंती
देखत इठलाई
धरा लजाई
10
ऋतु बसंत
पुष्प सभी महके
पक्षी चहके
11
बिछोह अंत
संकेत मिलन का
देता बसंत
12
मधुर कंठ
ऋतुराज बुलाये
कोयल गाये
13
मन उदास
बसंत भर देता
जीने की आस
14
कौन ऋतु ये
थिरकन ये कैसी
कली चहकी
15
अलि गुंजार
कली करे शृंगार
प्रेम बयार
16
छलिया मास
रंग में रंग जाती
धरा बासंती
17
घर आँगन
स्वागत है बसंत
कहे हंसके
18
आया बसंत
खिलते उपवन
कोयल कूके
19
जी उठी फिर
धरा लगी झूमने
देख बसंत
20
पपीहा गाये
नाचे मनवा मोर
बासंती भोर
21
मनवा तृप्त
सौंधी मिटटी महके
मधुमास में
22
सरसों खेत
छटा पीली है छाई
शीत विदाई
23
फिरे धरा पे
लो उन्मुक्त पवन
छोड़ गगन
24
बसंत आती
धरा क्यों मदमाती
बन युवती
25
सखी बसंत
भरती तरुणाई
भू इठलाई
26
खिलें कोंपल
धरे बसंत प्रिया
रूप नवल
27
खुमारी छाई
धरा ले अँगडाई
देख बसंत
28
लज्जा का भाव
कर पीत शृंगार
धरा बौराई
29
धरा उतरी
बैठ पूर्व- पंख
ऋतु बसंत