भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मैं करता हूँ / तेज प्रसाद खेदू" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जीत नराइन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatSurina...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=जीत नराइन
+
|रचनाकार=तेज प्रसाद खेदू
 
|अनुवादक=
 
|अनुवादक=
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=

14:52, 24 मई 2017 के समय का अवतरण

न राग है न लय
फिर भी वाक्या बनाता
मन के तार छेड़ कर
कविता सुनाता हूँ
दो हाथांे के दम पर
ये संसार चलाता हूँ
हाथों की चन्द लकीरों को
पसीने से लिख जाता हूँ
दर्द हो चाहे कितना भी
गीत खुशी के गाता हूँ
रहूँ चाहे जिस हाल में
न कभी हारता हूँ
बुरे से घबड़ाकर मैं
पीठ नहीं दिखाता हूँ
जो कुछ भी दिया तूने
सिर्फ वही दीप जलाता हूँ
आ सकूँ काम किसी के
सपने ये सजाता हूँ
माँ तेरा बालक हूँ
तेरे बन्दन में शीश झुकाता हूँ।