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11:09, 12 जून 2017 के समय का अवतरण
लिछमी जैड़ी अैन बोदड़ी।
म्हारी छोटी बै'न बोदड़ी।
पै ल-दूज आंगण मैं खलै।
समझै मा री सैन बोदड़ी।
सूई में डोरो पोवण नै।
दादी जी रा नैन बोदड़ी।
म्हे बूझां जद घर री नेमत।
बाबो सा कै है न बोदड़ी।
टूर जासी चुपचाप सासरै।
बिन बोल्यां कीं बै'न बोदड़ी।