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19:37, 21 जून 2017 का अवतरण
शिवशंकर मिश्र
जन्म | 18 दिसम्बर 1944 |
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जन्म स्थान | सोरपनिया, पूर्वी चंपारण, बिहार |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
‘बीच का पहाड़’, ‘एक नया दिनमान’, ‘लड़ाई बाजार’, ‘बोलो कोयल बोलो’, ‘सीढि़यों का भँवर’ आदि | |
विविध | |
‘राधाकृष्ण पुरस्कार’ तथा ‘झारखंड राजभाषा साहित्य सम्मान’ से सम्मानित। | |
जीवन परिचय | |
शिवशंकर मिश्र / परिचय |
कविताएँ
- ईश्वर का दास / शिवशंकर मिश्र
- सन्नाटा / शिवशंकर मिश्र
- सभी के हाथ जले हैं / शिवशंकर मिश्र
- नामहीन / शिवशंकर मिश्र
- बीच का पहाड़ / शिवशंकर मिश्र
- प्रश्नवेध / शिवशंकर मिश्र
- गौरये का घर / शिवशंकर मिश्र
- जो कुर्सी पर बैठता है / शिवशंकर मिश्र
- चिट्ठी / शिवशंकर मिश्र
- गोरी के गीत (सात भाग) / शिवशंकर मिश्र
- जस्तेक के दिन / शिवशंकर मिश्र
- लौटा दिया शहर ने / शिवशंकर मिश्र
- दाँतो की संधियाँ / शिवशंकर मिश्र
- घोर जनरव / शिवशंकर मिश्र
- सीढि़यों का भँवर / शिवशंकर मिश्र
- मेरा देश महान / शिवशंकर मिश्र
- वे लोग / शिवशंकर मिश्र
- वे माँगें मत / शिवशंकर मिश्र
- लोकतंत्र की डोर / शिवशंकर मिश्र
- देश मजे में / शिवशंकर मिश्र
ग़ज़लें
- मारो न इस को ऐसे, इस पर न खाक डालो / शिवशंकर मिश्र
- हो गए हम कत्ल या फिर बच गए इस बार हम / शिवशंकर मिश्र
- किसी की आँख में डोरे, किसी के आँख आती क्यों / शिवशंकर मिश्र
- रात-दिन की बेकली है और मैं हूँ / शिवशंकर मिश्र
- मुनासिब तो नहीं है आप का ऐसे खफा होना / शिवशंकर मिश्र
- किसी के सामने खुलकर कभी में रो नहीं पाया / शिवशंकर मिश्र
- रो-रो के हँसना है ज़िन्दगी / शिवशंकर मिश्र
रुबाइयाँ और मुक्तक
- बू-ए-गुल, रंगे-हिना, कुछ भी नहीं / शिवशंकर मिश्र
- अब चाहे गोली हो, सूली, सलीब हो / शिवशंकर मिश्र
- कभी दिल का तड़पना देखा नहीं? / शिवशंकर मिश्र
- तुम से मिलना कि बिछड़ना तुम से / शिवशंकर मिश्र
- मचलते हैं तेज धारे किस तरह / शिवशंकर मिश्र
- कभी हँस दे, कभी रो जाए है जी / शिवशंकर मिश्र
- दिन आता है, आकर गुजर जाता है / शिवशंकर मिश्र
- लोग जो बड़े हैं, वे बड़े हैं / शिवशंकर मिश्र
- बिजलियों के पंख लेकर मैं नहीं उड़ता / शिवशंकर मिश्र
- दंड की धाराएँ उन के हाथ में हैं / शिवशंकर मिश्र
- लड़ाइयाँ कैसी न जाने कर रहे हैं हम / शिवशंकर मिश्र
- तार-तार बाँधना है ज़िन्दगी / शिवशंकर मिश्र
- मरता नहीं है कोई किसी के लिए मगर / शिवशंकर मिश्र
- एक कोई तीर अब ऐसा लगाना चाहिए / शिवशंकर मिश्र
- टूटा तुझ से या किसी ने तोड़ डाला फर्क क्या / शिवशंकर मिश्र
- प्यार जब ख़ामोशियों की राह चलकर आए है / शिवशंकर मिश्र