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"निर्गुन / मोक्ष मण्डल" के अवतरणों में अंतर

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चलो भाई जोसमनी आफनो राहा समाई यर्ही राहा सोद्धा हो भाई
चलो भाई जोसमनी आफ्नो राहा समाई ।।अ।।

चारै युग वितन लागे संध्या परि परि आई ।।
आदी घरको याद करोजो अन्त कालमे फेर मन पछुताई ।।चलो।।१।।

जात कर्म वर्ण मर्ज्यादा यही बीच टट्टी लगाई ।।
भर्म गिर्‍यो पर्‍यो चौरासीमे एैसो भ्रम जाल बधाई ।।चलो।।२।।

ज्ञानको ज्ञानि ध्यानको ध्यानी जोगमै जुगती बताई ।।
अदेख देखे अपीव पिव् श्रीमुख गाई सुनाई ।।चलो।।३।।

जात कर्म ञाहाको पाँसि हमारी पाँसि हमारो घर अविनासि ।।
वकुल्ला होतो तालम् भुले हंसा होसे चली जाई ।।चलो।।४।।

करुणा कर्पा सत गुरुजीको चारैयुग फिरि आई ।।
मोक्ष मण्डल येही राहा चलोजी ज्ञानमे धक्का न खाई ।।
चलो भाई जोसमनी आफ्नो राहा समाई ।।५।।