भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दुलहन धरती / अचल भारती" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भवप्रीतानन्द ओझा |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

13:42, 14 जुलाई 2017 का अवतरण

पिया बादल मारै छै ऊपर सें कनखी
हो घुंघ्ज्ञट सें झांकै छै दुलहन-धरती।
आमॅ के मंजर टिकोल भेलै
कालकॅ बतास जे जवान होलै
होली ऐलै कि थिरकलै कदम
ननद! भी गलै चुनर उलझै बक्ती

पिया बादल मारै छै ऊपर से कनखी
हो घूंघट से झांकै छै दुलहन-धरती।