भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"परत दर परत / स्वाति मेलकानी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=स्वाति मेलकानी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:54, 26 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
प्याज की परतों की तरह
परत दर परत
खुलता जीवन
और सब खुल जाने पर
शेष कुछ नहीं रहता।