"यात्री / लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा" के अवतरणों में अंतर
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− | कुन मन्दिरमा जान्छौ यात्री, | + | कुन मन्दिरमा जान्छौ यात्री, कुन मन्दिरमा जाने हो? |
− | कुन मन्दिरमा जाने हो? | + | कुन सामग्री पूजा गर्ने साथ कसोरी लाने हो? |
− | कुन सामग्री | + | मानिसहरूका काँध चढी कुन देवपुरीमा जाने हो? |
− | साथ कसोरी लाने हो? | + | |
− | मानिसहरूका काँध चढी | + | |
− | कुन देवपुरीमा जाने हो? | + | |
− | हाडहरूका सुन्दर खम्बा | + | हाडहरूका सुन्दर खम्बा, मांसपिण्डका दिवार, |
− | + | मस्तिष्कको यो सुनको छानो, इन्द्रियहरूका द्वार, | |
− | + | नशा-नदीका तरल तरङ्ग, मन्दिर आफू अपार, | |
− | + | कुन मन्दिरमा जान्छौ यात्री, कुन मन्दिरको द्वार? | |
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− | मन्दिर आफू | + | |
− | + | मनको सुन्दर सिंहासनमा जगदीश्वरको राज | |
− | + | चेतनको यो ज्योतिहिरण्य, उसको शिरको ताज | |
− | मनको सुन्दर सिंहासनमा | + | शरीरको यो सुन्दर मन्दिर, विश्वक्षेत्रको माझ । |
− | + | ||
− | चेतनको यो | + | |
− | उसको शिरको | + | |
− | + | भित्र छ ईश्वर बाहिर आँखा, खोजी हिँडछौ कुन पुर? | |
− | + | ईश्वर बस्तछ गहिराइमा, सतह बहन्छौ कति दूर? | |
− | भित्र छ ईश्वर बाहिर आँखा | + | खोजी गर्छौ? हृदय उगाऊ, बत्ति बाली तेज प्रचुर । |
− | + | ||
− | ईश्वर बस्तछ गहिराइमा, | + | |
− | सतह बहन्छौ कति दूर? | + | |
− | + | साथी यात्री ! बीच सडकमा, ईश्वर हिँडछ साथ | |
− | + | चुम्दछ ईश्वर काम सुनौला गरिरहेको हात | |
− | साथी यात्री बीच सडकमा, | + | छुन्छ तिलस्मी करले उसले, सेवकहरूको माथ। |
− | ईश्वर | + | |
− | चुम्दछ ईश्वर काम सुनौला | + | |
− | + | ||
− | + | सडक किनारा गाउँछ ईश्वर, चराहरूको तानामा | |
− | + | बोल्दछ ईश्वर मानिसहरूको पीडा, दु:खको गानामा | |
− | सडक किनारा गाउँछ ईश्वर | + | दर्शन किन्तु कहीँ दिँदैन, चर्म-चक्षुले कानामा |
− | चराहरूको तानामा | + | कुन मन्दिरमा जान्छौ यात्री, कुन नवदेश बिरानामा? |
− | बोल्दछ ईश्वर मानिसहरूको | + | |
− | पीडा, दु:खको गानामा | + | |
− | + | फर्क फर्क हे ! जाऊ समाऊ, मानिसहरूको पाउ | |
− | + | मलम लगाऊ आर्तहरूको, चहराइरहेको घाउ | |
− | + | मानिस भई ईश्वरको यो दिव्य मुहार हँसाऊ। | |
− | + | ||
− | फर्क फर्क हे! जाऊ समाऊ, | + | |
− | मानिसहरूको | + | |
− | मलम लगाऊ आर्तहरूको, | + | |
− | + | ||
− | मानिस भई ईश्वरको यो | + | |
− | दिव्य मुहार हँसाऊ। | + | |
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09:45, 17 अक्टूबर 2017 का अवतरण
कुन मन्दिरमा जान्छौ यात्री, कुन मन्दिरमा जाने हो?
कुन सामग्री पूजा गर्ने साथ कसोरी लाने हो?
मानिसहरूका काँध चढी कुन देवपुरीमा जाने हो?
हाडहरूका सुन्दर खम्बा, मांसपिण्डका दिवार,
मस्तिष्कको यो सुनको छानो, इन्द्रियहरूका द्वार,
नशा-नदीका तरल तरङ्ग, मन्दिर आफू अपार,
कुन मन्दिरमा जान्छौ यात्री, कुन मन्दिरको द्वार?
मनको सुन्दर सिंहासनमा जगदीश्वरको राज
चेतनको यो ज्योतिहिरण्य, उसको शिरको ताज
शरीरको यो सुन्दर मन्दिर, विश्वक्षेत्रको माझ ।
भित्र छ ईश्वर बाहिर आँखा, खोजी हिँडछौ कुन पुर?
ईश्वर बस्तछ गहिराइमा, सतह बहन्छौ कति दूर?
खोजी गर्छौ? हृदय उगाऊ, बत्ति बाली तेज प्रचुर ।
साथी यात्री ! बीच सडकमा, ईश्वर हिँडछ साथ
चुम्दछ ईश्वर काम सुनौला गरिरहेको हात
छुन्छ तिलस्मी करले उसले, सेवकहरूको माथ।
सडक किनारा गाउँछ ईश्वर, चराहरूको तानामा
बोल्दछ ईश्वर मानिसहरूको पीडा, दु:खको गानामा
दर्शन किन्तु कहीँ दिँदैन, चर्म-चक्षुले कानामा
कुन मन्दिरमा जान्छौ यात्री, कुन नवदेश बिरानामा?
फर्क फर्क हे ! जाऊ समाऊ, मानिसहरूको पाउ
मलम लगाऊ आर्तहरूको, चहराइरहेको घाउ
मानिस भई ईश्वरको यो दिव्य मुहार हँसाऊ।