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"माँ जैसा होना / जय चक्रवर्ती" के अवतरणों में अंतर
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माँ होना ही हो सकता है
माँ जैसा होना!
धरती,नदिया,
धूप, चाँदनी, खुशबू,
शीतलता
धैर्य, क्षमा, करुणा,
ममता,
शुचि-स्नेहिल वत्सलता
किसके हिस्से है उपमा का
यह अनुपम दोना!
अंजुरी मे
आशीषों का अक्षय-
अशेष सागर
अंतस मे खुशियों का
अविरल
अंतहीन अंबर
तीन लोक से विस्तृत
माँ के आँचल का कोना!
पानी वाली आँखों मे
आशा के
गुलमोहर
आँखों मे सोंधे सपने,
सपनों मे
सुख-निर्झर
और किसे आता है
सपनों मे सपने बोना!