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दस्तक / तुम्हारे लिए / मधुप मोहता
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04:05, 9 दिसम्बर 2017
इससे पहले कि हर हर्फ़ आँसुओं में धुले,
इससे पहले कि दिल पिघले, लहू हो जाए,
फिर से आँखों में उतर आए,
सुखऱ्
सुर्ख़
हो जाए।
इससे पहले कि तुम उठो, फिर से खो जाओ,
Lalit Kumar
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प्रशासक
,
सदस्य जाँच
,
प्रबंधक
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