भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पता नइखे / सरोज सिंह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरोज सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBhojpu...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:31, 23 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
कहीं भगवान के पता नइखे
कहीं इंसान के पता नइखे
सगरो अन्हियार बढल बा
सुरुज-बान के पता नइखे
पोथी पढ़ पंडित बन गईले
जिए-भर ग्यान के पता नइखे
कबले होई आस के अंजोर
ऊ बिहान के पता नइखे
इहाँ मुर्दा बनल सब अदमी
अब समसान के पता नइखे
बदलत बा इंसान के फितरत
कहीं ईमान के पता नइखे
बाड़ खा गईल सगरो खेत
उ निगहबान के पता नइखे
जे उगवलस खेत में सोना
ओकरे धन-धान के पता नइखे
जेहमे कब्बो करज न उगे
ऊ सिवान के पता नइखे