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+ | दु:ख सदा रुलाए, | ||
+ | प्यार –सुगन्ध | ||
+ | ये ऐसी है बावरी | ||
+ | सबको गमकाए । | ||
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+ | शीतल जल | ||
+ | जब चले खोजने | ||
+ | ताल मिले गहरे, | ||
+ | पी पाते कैसे | ||
+ | दो घूँट भला जब | ||
+ | हों यक्षों के पहरे । | ||
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+ | प्रश्न हज़ारों | ||
+ | पिपासाकुल मन | ||
+ | पहेली कैसे बूझें, | ||
+ | तुम जल हो | ||
+ | दे दो शीतलता तो | ||
+ | उत्तर कुछ सूझे । | ||
+ | 10 | ||
+ | पाया तुमको | ||
+ | अब कुछ पा जाएँ | ||
+ | मन में नहीं सोचा , | ||
+ | खोकर तुम्हें | ||
+ | तुम ही बतलाओ | ||
+ | क्या कुछ बचता है ? | ||
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14:10, 12 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
6
मन की झील,
चुन-चुन पत्थर
फेंके हैं अनगिन,
साँस लें कैसे
घायल हैं लहरें
तट गूँगे बहरे ।
7
रूप –कुरूप
कोई नर या नारी
दु:ख सदा रुलाए,
प्यार –सुगन्ध
ये ऐसी है बावरी
सबको गमकाए ।
8
शीतल जल
जब चले खोजने
ताल मिले गहरे,
पी पाते कैसे
दो घूँट भला जब
हों यक्षों के पहरे ।
9
प्रश्न हज़ारों
पिपासाकुल मन
पहेली कैसे बूझें,
तुम जल हो
दे दो शीतलता तो
उत्तर कुछ सूझे ।
10
पाया तुमको
अब कुछ पा जाएँ
मन में नहीं सोचा ,
खोकर तुम्हें
तुम ही बतलाओ
क्या कुछ बचता है ?